पदच्छेदः
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अथ | अथ (अव्ययः) |
कृतकविलोभनं | कृतक–विलोभन (२.१) |
विधित्सौ | विधित्सु (७.१) |
युवतिजने | युवति–जन (७.१) |
हरिसूनुदर्शनेन | हरिसूनु–दर्शन (३.१) |
प्रसभम् | प्रसभम् (अव्ययः) |
अवततार | अवततार (√अव-तृ लिट् प्र.पु. एक.) |
चित्तजन्मा | चित्तजन्मन् (१.१) |
हरति | हरति (√हृ लट् प्र.पु. एक.) |
मनो | मनस् (२.१) |
मधुरा | मधुर (१.१) |
हि | हि (अव्ययः) |
यौवनश्रीः | यौवन–श्री (१.१) |
छन्दः
पुष्पिताग्रा = [१२: ननरय] १,३ + [१२: नजजरग] २,४
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ |
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अ | थ | कृ | त | क | वि | लो | भ | नं | वि | धि | त्सौ |
यु | व | ति | ज | ने | ह | रि | सू | नु | द | र्श | ने | न |
प्र | स | भ | म | व | त | ता | र | चि | त्त | ज | न्मा |
ह | र | ति | म | नो | म | धु | रा | हि | यौ | व | न | श्रीः |