पदच्छेदः
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सखि | सखी (८.१) |
दयितम् | दयित (२.१) |
इहानयेति | इह (अव्ययः)–आनय (√आ-नी लोट् म.पु. )–इति (अव्ययः) |
सा | तद् (१.१) |
मां | मद् (२.१) |
प्रहितवती | प्रहितवत् (√प्र-हि + क्तवतु, १.१) |
कुसुमेषुणाभितप्ता | कुसुमेषु (३.१)–अभितप्त (√अभि-तप् + क्त, १.१) |
हृदयम् | हृदय (२.१) |
अहृदया | अहृदय (१.१) |
न | न (अव्ययः) |
नाम | नामन् (१.१) |
पूर्वं | पूर्वम् (अव्ययः) |
भवदुपकण्ठम् | भवत्–उपकण्ठ (२.१) |
उपागतं | उपागत (√उपा-गम् + क्त, २.१) |
विवेद | विवेद (√विद् लिट् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
पुष्पिताग्रा = [१२: ननरय] १,३ + [१२: नजजरग] २,४
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ |
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स | खि | द | यि | त | मि | हा | न | ये | ति | सा | मां |
प्र | हि | त | व | ती | कु | सु | मे | षु | णा | भि | त | प्ता |
हृ | द | य | म | हृ | द | या | न | ना | म | पू | र्वं |
भ | व | दु | प | क | ण्ठ | मु | पा | ग | तं | वि | वे | द |