आसक्तभरनीकाशैर् | आसक्त (√आ-सञ्ज् + क्त)–भर–नीकाश (३.३) |
अङ्गैः | अङ्ग (३.३) |
परिकृशैर् | परिकृश (३.३) |
अपि | अपि (अव्ययः) |
अद्यूनः | अ (अव्ययः)–द्यून (√दीव् + क्त, १.१) |
सद्गृहिण्य् | सत्–गृहिन् (७.१) |
एव | एव (अव्ययः) |
प्रायो | प्रायस् (अव्ययः) |
यष्ट्यावलम्बितः | यष्टि (३.१)–अवलम्बित (√अव-लम्ब् + क्त, १.१) |
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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आ | स | क्त | भ | र | नी | का | शै |
र | ङ्गैः | प | रि | कृ | शै | र | पि |
अ | द्यू | नः | स | द्गृ | हि | ण्ये | व |
प्रा | यो | य | ष्ट्या | व | ल | म्बि | तः |