पदच्छेदः
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वपुरिन्द्रियोपतपनेषु | वपुस्–इन्द्रिय–उपतपन (७.३) |
सततम् | सततम् (अव्ययः) |
असुखेषु | असुख (७.३) |
पाण्डवः | पाण्डव (१.१) |
व्याप | व्याप (√वि-आप् लिट् प्र.पु. एक.) |
नगपतिर् | नगपति (१.१) |
इव | इव (अव्ययः) |
स्थिरतां | स्थिर–ता (२.१) |
महतां | महत् (६.३) |
हि | हि (अव्ययः) |
धैर्यम् | धैर्य (१.१) |
अविभाव्यवैभवम् | अविभाव्य–वैभव (१.१) |
छन्दः
उद्गता = [१०: सजसल] + [१०: नसजग] + [११: भनजलग] + [१३: सजसजग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ |
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व | पु | रि | न्द्रि | यो | प | त | प | ने | षु |
स | त | त | म | सु | खे | षु | पा | ण्ड | वः |
व्या | प | न | ग | प | ति | रि | व | स्थि | र | तां |
म | ह | तां | हि | धै | र्य | म | वि | भा | व्य | वै | भ | वम् |