पदच्छेदः
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अथ | अथ (अव्ययः) |
चेद् | चेद् (अव्ययः) |
अवधिः | अवधि (१.१) |
प्रतीक्ष्यते | प्रतीक्ष्यते (√प्रति-ईक्ष् प्र.पु. एक.) |
कथम् | कथम् (अव्ययः) |
आविष्कृतजिह्मवृत्तिना | आविष्कृत (√आविः-कृ + क्त)–जिह्म–वृत्ति (३.१) |
धृतराष्ट्रसुतेन | धृतराष्ट्र–सुत (३.१) |
सुत्यज्याश् | सु (अव्ययः)–त्यज्य (√त्यज् + कृत्, २.३) |
चिरम् | चिरम् (अव्ययः) |
आस्वाद्य | आस्वाद्य (√आ-स्वादय् + ल्यप्) |
नरेन्द्रसम्पदः | नरेन्द्र–सम्पद् (२.३) |
छन्दः
गीति (१२, १८, १२, १८)
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ |
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अ | थ | चे | द | व | धिः | प्र | ती | क्ष्य |
ते | क | थ | मा | वि | ष्कृ | त | जि | ह्म | वृ | त्ति | ना |
धृ | त | रा | ष्ट्र | सु | ते | न | सु | त्य |
ज्या | श्चि | र | मा | स्वा | द्य | न | रे | न्द्र | स | म्प | दः |