जहातु | जहातु (√हा लोट् प्र.पु. एक.) |
नैनं | न (अव्ययः)–एनद् (२.१) |
कथम् | कथम् (अव्ययः) |
अर्थसिद्धिः | अर्थ–सिद्धि (१.१) |
संशय्य | संशय्य (√सम्-शी + ल्यप्) |
कर्णादिषु | कर्ण–आदि (७.३) |
तिष्ठते | तिष्ठते (√स्था लट् प्र.पु. एक.) |
यः | यद् (१.१) |
हि | हि (अव्ययः) |
जयान्तरायाः | जय–अन्तराय (१.३) |
प्रमाथिनीनां | प्रमाथिन् (६.३) |
विपदां | विपद् (६.३) |
पदानि | पद (१.३) |
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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ज | हा | तु | नै | नं | क | थ | म | र्थ | सि | द्धिः |
सं | श | य्य | क | र्णा | दि | षु | ति | ष्ठ | ते | यः |
अ | सा | द्यु | यो | गा | हि | ज | या | न्त | रा | याः |
प्र | मा | थि | नी | नां | वि | प | दां | प | दा | नि |