श्रियं | श्री (२.१) |
विकर्षत्य् | विकर्षति (√वि-कृष् लट् प्र.पु. एक.) |
अपहन्त्य् | अपहन्ति (√अप-हन् लट् प्र.पु. एक.) |
अघानि | अघ (२.३) |
श्रेयः | श्रेयस् (२.१) |
परिस्नौति | परिस्नौति (√परि-स्नु लट् प्र.पु. एक.) |
तनोति | तनोति (√तन् लट् प्र.पु. एक.) |
कीर्तिम् | कीर्ति (२.१) |
संदर्शनं | संदर्शन (१.१) |
लोकगुरोर् | लोकगुरु (६.१) |
अमोघम् | अमोघ (१.१) |
अमोघं | अमोघ (१.१) |
तवात्मयोनेर् | त्वद् (६.१)–आत्मयोनि (६.१) |
इव | इव (अव्ययः) |
किं | क (२.१) |
न | न (अव्ययः) |
धत्ते | धत्ते (√धा लट् प्र.पु. एक.) |
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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श्रि | यं | वि | क | र्ष | त्य | प | ह | न्त्य | घा | नि |
श्रे | यः | प | रि | स्नौ | ति | त | नो | ति | की | र्तिम् |
सं | द | र्श | नं | लो | क | गु | रो | र | मो | घं |
त | वा | त्म | यो | ने | रि | व | किं | न | ध | त्ते |