पदच्छेदः
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सोत्कण्ठैर् | स (अव्ययः)–उत्कण्ठा (३.३) |
अमरगणैर् | अमर–गण (३.३) |
अनुप्रकीर्णान् | अनुप्रकीर्ण (√अनुप्र-कृ + क्त, २.३) |
निर्याय | निर्याय (√निः-या + ल्यप्) |
ज्वलितरुचः | ज्वलित (√ज्वल् + क्त)–रुच् (५.१) |
पुरान् | पुर (५.१) |
मघोनः | मघवन् (६.१) |
रामाणाम् | रामा (६.३) |
उपरि | उपरि (अव्ययः) |
विवस्वतः | विवस्वन्त् (६.१) |
स्थितानां | स्थित (√स्था + क्त, ६.३) |
नासेदे | न (अव्ययः)–आसेदे (√आ-सद् लिट् प्र.पु. एक.) |
चरितगुणत्वम् | चरित (√चर् + क्त)–गुण–त्व (२.१) |
आतपत्रैः | आतपत्र (३.३) |
छन्दः
प्रहर्षिणी [१३: मनजरग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ |
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सो | त्क | ण्ठै | र | म | र | ग | णै | र | नु | प्र | की | र्णा |
न्नि | र्या | य | ज्व | लि | त | रु | चः | पु | रा | न्म | घो | नः |
रा | मा | णा | मु | प | रि | वि | व | स्व | तः | स्थि | ता | नां |
ना | से | दे | च | रि | त | गु | ण | त्व | मा | त | प | त्रैः |
म | न | ज | र | ग |