पदच्छेदः
Click to Toggle
नीरन्ध्रं | नीरन्ध्र (२.१) |
पथिषु | पथिन् (७.३) |
रजो | रजस् (२.१) |
रथाङ्गनुन्नं | रथाङ्ग–नुन्न (√नुद् + क्त, २.१) |
पर्यस्यन् | पर्यस्यत् (√परि-अस् + शतृ, १.१) |
नवसलिलारुणं | नव–सलिल–अरुण (२.१) |
वहन्ती | वहत् (√वह् + शतृ, १.१) |
आतेने | आतेने (√आ-तन् लिट् प्र.पु. एक.) |
वनगहनानि | वन–गहन (२.३) |
वाहिनी | वाहिनी (१.१) |
सा | तद् (१.१) |
घर्मान्तक्षुभितजलेव | घर्म–अन्त–क्षुभित (√क्षुभ् + क्त)–जल (१.१)–इव (अव्ययः) |
जह्नुकन्या | जह्नुकन्या (१.१) |
छन्दः
प्रहर्षिणी [१३: मनजरग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ |
---|
नी | र | न्ध्रं | प | थि | षु | र | जो | र | था | ङ्ग | नु | न्नं |
प | र्य | स्य | न्न | व | स | लि | ला | रु | णं | व | ह | न्ती |
आ | ते | ने | व | न | ग | ह | ना | नि | वा | हि | नी | सा |
घ | र्मा | न्त | क्षु | भि | त | ज | ले | व | ज | ह्नु | क | न्या |
म | न | ज | र | ग |