पदच्छेदः
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गुरुस्वेदमन्थरं | गुरु–स्वेद–मन्थर (२.१) |
सुराङ्गनानाम् | सुर–अङ्गना (६.३) |
अनुसानुवर्त्मनः | अनुसानु (अव्ययः)–वर्त्मन् (५.१) |
सविस्मयं | स (अव्ययः)–विस्मय (२.१) |
रूपयतो | रूपयत् (√रूपय् + शतृ, २.३) |
नभश्चरान् | नभश्चर (२.३) |
विवेश | विवेश (√विश् लिट् प्र.पु. एक.) |
तत्पूर्वम् | तद्–पूर्वम् (अव्ययः) |
इवेक्षणादरः | इव (अव्ययः)–ईक्षण–आदर (१.१) |
छन्दः
वंशस्थम् [१२: जतजर]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ |
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वि | नि | र्य | ती | नां | गु | रु | स्वे | द | म | न्थ | रं |
सु | रा | ङ्ग | ना | ना | म | नु | सा | नु | व | र्त्म | नः |
स | वि | स्म | यं | रू | प | य | तो | न | भ | श्च | रा |
न्वि | वे | श | त | त्पू | र्व | मि | वे | क्ष | णा | द | रः |
ज | त | ज | र |