पदच्छेदः
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असंशयं | असंशयम् (अव्ययः) |
न्यस्तम् | न्यस्त (√नि-अस् + क्त, १.१) |
उपान्तरक्ततां | उपान्त–रक्त–ता (२.१) |
यद् | यद् (१.१) |
एव | एव (अव्ययः) |
रोद्धुं | रोद्धुम् (√रुध् + तुमुन्) |
रमणीभिर् | रमणी (३.३) |
अञ्जनम् | अञ्जन (१.१) |
हृते | हृत (√हृ + क्त, ७.१) |
ऽपि | अपि (अव्ययः) |
तस्मिन् | तद् (७.१) |
सलिलेन | सलिल (३.१) |
शुक्लतां | शुक्ल–ता (२.१) |
निरास | निरास (√निः-अस् लिट् प्र.पु. एक.) |
रागो | राग (१.१) |
नयनेषु | नयन (७.३) |
न | न (अव्ययः) |
श्रियम् | श्री (२.१) |
छन्दः
वंशस्थम् [१२: जतजर]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ |
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अ | सं | श | यं | न्य | स्त | मु | पा | न्त | र | क्त | तां |
य | दे | व | रो | द्धुं | र | म | णी | भि | र | ञ्ज | नम् |
हृ | ते | ऽपि | त | स्मि | न्स | लि | ले | न | शु | क्ल | तां |
नि | रा | स | रा | गो | न | य | ने | षु | न | श्रि | यम् |
ज | त | ज | र |