पदच्छेदः
Click to Toggle
श्रिया | श्री (३.१) |
हसद्भिः | हसत् (√हस् + शतृ, ३.३) |
कलमानि | कल–मानिन् (२.१) |
सस्मितैर् | स (अव्ययः)–स्मित (३.३) |
अलंकृताम्बुः | अलंकृत (√अलम्-कृ + क्त)–अम्बु (१.१) |
प्रतिमागतैर् | प्रतिमा–गत (√गम् + क्त, ३.३) |
मुखैः | मुख (३.३) |
कृतानुकूल्या | कृत (√कृ + क्त)–आनुकूल्य (१.१) |
सुरराजयोषितां | सुर–राजन्–योषित् (६.३) |
प्रसादसाफल्यम् | प्रसाद–साफल्य (२.१) |
अवाप | अवाप (√अव-आप् लिट् प्र.पु. एक.) |
जाह्नवी | जाह्नवी (१.१) |
छन्दः
वंशस्थम् [१२: जतजर]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ |
---|
श्रि | या | ह | स | द्भिः | क | ल | मा | नि | स | स्मि | तै |
र | लं | कृ | ता | म्बुः | प्र | ति | मा | ग | तै | र्मु | खैः |
कृ | ता | नु | कू | ल्या | सु | र | रा | ज | यो | षि | तां |
प्र | सा | द | सा | फ | ल्य | म | वा | प | जा | ह्व | नी |
ज | त | ज | र |