पदच्छेदः
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भयाद् | भय (५.१) |
इवाश्लिष्य | इव (अव्ययः)–आश्लिष्य (√आ-श्लिष् + ल्यप्) |
झषाहते | झष–आहत (√आ-हन् + क्त, ७.१) |
ऽम्भसि | अम्भस् (७.१) |
प्रियं | प्रिय (२.१) |
मुदानन्दयति | मुद् (३.१)–आनन्दयत् (√आ-नन्दय् + शतृ, ७.१) |
स्म | स्म (अव्ययः) |
मानिनी | मानिनी (१.१) |
अकृत्रिमप्रेमरसाहितैर् | अकृत्रिम–प्रेमन्–रस–आहित (√आ-धा + क्त, ३.३) |
मनो | मनस् (२.१) |
हरन्ति | हरन्ति (√हृ लट् प्र.पु. बहु.) |
रामाः | रामा (१.३) |
कृतकैर् | कृतक (३.३) |
अपीहितैः | अपि (अव्ययः)–ईहित (३.३) |
छन्दः
वंशस्थम् [१२: जतजर]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ |
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भ | या | दि | वा | श्लि | ष्य | झ | षा | ह | ते | ऽम्भ | सि |
प्रि | यं | मु | दा | न | न्द | य | ति | स्म | मा | नि | नी |
अ | कृ | त्रि | म | प्रे | म | र | सा | हि | तै | र्म | नो |
ह | र | न्ति | रा | माः | कृ | त | कै | र | पी | हि | तैः |
ज | त | ज | र |