पदच्छेदः
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प्रियेण | प्रिय (३.१) |
सिक्ता | सिक्त (√सिच् + क्त, १.१) |
चरमं | चरम (२.१) |
विपक्षतश् | विपक्ष (५.१) |
चुकोप | चुकोप (√कुप् लिट् प्र.पु. एक.) |
काचिन् | कश्चित् (१.१) |
न | न (अव्ययः) |
तुतोष | तुतोष (√तुष् लिट् प्र.पु. एक.) |
सान्त्वनैः | सान्त्वन (३.३) |
जनस्य | जन (६.१) |
रूढप्रणयस्य | रूढ (√रुह् + क्त)–प्रणय (६.१) |
चेतसः | चेतस् (६.१) |
किम् | क (२.१) |
अप्य् | अपि (अव्ययः) |
अमर्षो | अमर्ष (१.१) |
ऽनुनये | अनुनय (७.१) |
भृशायते | भृशायते (√भृशाय् लट् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
वंशस्थम् [१२: जतजर]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ |
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प्रि | ये | ण | सि | क्ता | च | र | मं | वि | प | क्ष | त |
श्चु | को | प | का | चि | न्न | तु | तो | ष | सा | न्त्व | नैः |
ज | न | स्य | रू | ढ | प्र | ण | य | स्य | चे | त | सः |
कि | म | प्य | म | र्षो | ऽनु | न | ये | भृ | शा | य | ते |
ज | त | ज | र |