पदच्छेदः
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दौर्मन्त्र्यान् | दौर्मन्त्र्य (५.१) |
नृपतिर् | नृपति (१.१) |
विनश्यति | विनश्यति (√वि-नश् लट् प्र.पु. एक.) |
यतिः | यति (१.१) |
सङ्गात् | सङ्ग (५.१) |
सुतो | सुत (१.१) |
लालनात् | लालन (५.१) |
विप्रो | विप्र (१.१) |
ऽनध्ययनात् | अनध्ययन (५.१) |
कुलं | कुल (१.१) |
कुतनयाच्छीलं | कु (अव्ययः)–तनय (५.१)–शील (१.१) |
खलोपासनात् | खल–उपासन (५.१) |
ह्रीर् | ह्री (१.१) |
मद्याद् | मद्य (५.१) |
अनवेक्षणाद् | अनवेक्षण (५.१) |
अपि | अपि (अव्ययः) |
कृषिः | कृषि (१.१) |
स्नेहः | स्नेह (१.१) |
प्रवासाश्रयान् | प्रवास–आश्रय (५.१) |
मैत्री | मैत्री (१.१) |
चाप्रणयात् | च (अव्ययः)–अ (अव्ययः)–प्रणय (५.१) |
समृद्धिर् | समृद्धि (१.१) |
अनयात् | अ (अव्ययः)–नय (५.१) |
त्यागप्रमादाद् | त्याग–प्रमाद (५.१) |
धनम् | धन (१.१) |
छन्दः
शार्दूलविक्रीडितम् [१९: मसजसततग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ | १८ | १९ |
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दौ | र्म | न्त्र्या | न्नृ | प | ति | र्वि | न | श्य | ति | य | तिः | स | ङ्गा | त्सु | तो | ला | ल | ना |
त्वि | प्रो | ऽन | ध्य | य | ना | त्कु | लं | कु | त | न | या | च्छी | लं | ख | लो | पा | स | नात् |
ह्री | र्म | द्या | द | न | वे | क्ष | णा | द | पि | कृ | षिः | स्ने | हः | प्र | वा | सा | श्र | या |
न्मै | त्री | चा | प्र | ण | या | त्स | मृ | द्धि | र | न | या | त्त्या | ग | प्र | मा | दा | द्ध | नम् |
म | स | ज | स | त | त | ग |