पदच्छेदः
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व्यालं | व्याल (२.१) |
बालमृणालतन्तुभिर् | बाल–मृणाल–तन्तु (३.३) |
असौ | अदस् (१.१) |
रोद्धुं | रोद्धुम् (√रुध् + तुमुन्) |
समुज्जृम्भते | समुज्जृम्भते (√समुत्-जृम्भ् लट् प्र.पु. एक.) |
छेत्तुं | छेत्तुम् (√छिद् + तुमुन्) |
वज्रमणिं | वज्र–मणि (२.१) |
शिरीषकुसुमप्रान्तेन | शिरीष–कुसुम–प्रान्त (३.१) |
संनह्यति | संनह्यति (√सम्-नह् लट् प्र.पु. एक.) |
माधुर्यं | माधुर्य (२.१) |
मधुबिन्दुना | मधु–बिन्दु (३.१) |
रचयितुं | रचयितुम् (√रचय् + तुमुन्) |
ईहते | ईहते (√ईह् लट् प्र.पु. एक.) |
नेतुं | नेतुम् (√नी + तुमुन्) |
वाञ्छति | वाञ्छति (√वाञ्छ् लट् प्र.पु. एक.) |
यः | यद् (१.१) |
खलान् | खल (२.३) |
पथि | पथिन् (७.१) |
सतां | सत् (६.३) |
सूक्तैः | सूक्त (३.३) |
सुधास्यन्दिभिः | सुधा–स्यन्दिन् (३.३) |
छन्दः
शार्दूलविक्रीडितम् [१९: मसजसततग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ | १८ | १९ |
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व्या | लं | बा | ल | मृ | णा | ल | त | न्तु | भि | र | सौ | रो | द्धुं | स | मु | ज्जृ | म्भ | ते |
छे | त्तुं | व | ज्र | म | णिं | शि | री | ष | कु | सु | म | प्रा | न्ते | न | स | न्न | ह्य | ति |
मा | धु | र्यं | म | धु | बि | न्दु | ना | र | च | यि | तुं | क्षा | रा | मु | धे | री | ह | ते |
ने | तुं | वा | ञ्छ | न्ति | यः | ख | ला | न्प | थि | स | तां | सू | क्तैः | सु | धा | स्य | न्दि | भिः |
म | स | ज | स | त | त | ग |