पदच्छेदः
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न | न (अव्ययः) |
गम्यो | गम्य (√गम् + कृत्, १.१) |
मन्त्राणां | मन्त्र (६.३) |
न | न (अव्ययः) |
च | च (अव्ययः) |
भवति | भवति (√भू लट् प्र.पु. एक.) |
भैषज्यविषयो | भैषज्य–विषय (१.१) |
न | न (अव्ययः) |
चापि | च (अव्ययः)–अपि (अव्ययः) |
प्रध्वंसं | प्रध्वंस (२.१) |
व्रजति | व्रजति (√व्रज् लट् प्र.पु. एक.) |
विविधैः | विविध (३.३) |
शान्तिकशतैः | शान्तिक–शत (३.३) |
भ्रमावेशाद् | भ्रम–आवेश (५.१) |
अङ्गे | अङ्ग (७.१) |
कम् | क (२.१) |
अपि | अपि (अव्ययः) |
विदधद् | विदधत् (√वि-धा + शतृ, १.१) |
भङ्गम् | भङ्ग (२.१) |
असकृत् | असकृत् (अव्ययः) |
स्मरापस्मारो | स्मर–अपस्मार (१.१) |
ऽयं | इदम् (१.१) |
भ्रमयति | भ्रमयति (√भ्रमय् लट् प्र.पु. एक.) |
दृशं | दृश् (२.१) |
घूर्णयति | घूर्णयति (√घूर्णय् लट् प्र.पु. एक.) |
च | च (अव्ययः) |
छन्दः
शिखरिणी [१७: यमनसभलग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ |
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न | ग | म्यो | म | न्त्रा | णां | न | च | भ | व | ति | भै | ष | ज्य | वि | ष | यो |
न | चा | पि | प्र | ध्वं | सं | व्र | ज | ति | वि | वि | धैः | शा | न्ति | क | श | तैः |
भ्र | मा | वे | शा | द | ङ्गे | क | म | पि | वि | द | ध | द्भ | ङ्ग | म | स | कृ |
त्स्म | रा | प | स्मा | रो | ऽयं | भ्र | म | य | ति | दृ | शं | घू | र्ण | य | ति | च |
य | म | न | स | भ | ल | ग |