पदच्छेदः
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आधिव्याधिशतैर् | आधि–व्याधि–शत (३.३) |
जनस्य | जन (६.१) |
विविधैर् | विविध (३.३) |
आरोग्यम् | आरोग्य (१.१) |
उन्मूल्यते | उन्मूल्यते (√उत्-मूलय् प्र.पु. एक.) |
लक्ष्मीर् | लक्ष्मी (१.१) |
यत्र | यत्र (अव्ययः) |
पतन्ति | पतन्ति (√पत् लट् प्र.पु. बहु.) |
तत्र | तत्र (अव्ययः) |
विवृतद्वारा | विवृत (√वि-वृ + क्त)–द्वार (१.३) |
इव | इव (अव्ययः) |
व्यापदः | व्यापद् (१.३) |
जातं | जात (√जन् + क्त, २.१) |
जातम् | जात (√जन् + क्त, २.१) |
अवश्यम् | अवश्यम् (अव्ययः) |
आशु | आशु (अव्ययः) |
विवशं | विवश (२.१) |
मृत्युः | मृत्यु (१.१) |
करोत्य् | करोति (√कृ लट् प्र.पु. एक.) |
आत्मसात् | आत्मसात् (अव्ययः) |
तत् | तद् (२.१) |
किं | क (१.१) |
तेन | तद् (३.१) |
निरङ्कुशेन | निरङ्कुश (३.१) |
विधिना | विधि (३.१) |
यन् | यद् (१.१) |
निर्मितं | निर्मित (√निः-मा + क्त, १.१) |
सुस्थिरम् | सु (अव्ययः)–स्थिर (१.१) |
छन्दः
शार्दूलविक्रीडितम् [१९: मसजसततग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ | १८ | १९ |
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आ | धि | व्या | धि | श | तै | र्ज | न | स्य | वि | वि | धै | रा | रो | ग्य | मु | न्मू | ल्य | ते |
ल | क्ष्मी | र्य | त्र | प | त | न्ति | त | त्र | वि | वृ | त | द्वा | रा | इ | व | व्या | प | दः |
जा | तं | जा | त | म | व | श्य | मा | शु | वि | व | शं | मृ | त्युः | क | रो | त्या | त्म | सा |
त्त | त्किं | ते | न | नि | र | ङ्कु | शे | न | वि | धि | ना | य | न्नि | र्मि | तं | सु | स्थि | रम् |
म | स | ज | स | त | त | ग |