Summary
The intellect which knows the activity and the cessation from the activity, the proper and improper actions, the fear and non-fear, and the bondage and emancipation-that intellect is considered to be of the Sattva (Strand).
पदच्छेदः
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प्रवृत्तिं | प्रवृत्ति (२.१) |
च | च (अव्ययः) |
निवृत्तिं | निवृत्ति (२.१) |
च | च (अव्ययः) |
जना | जन (१.३) |
न | न (अव्ययः) |
विदुरासुराः | विदुः (√विद् लिट् प्र.पु. बहु.)–आसुर (१.३) |
बन्धं | बन्ध (२.१) |
मोक्षं | मोक्ष (२.१) |
च | च (अव्ययः) |
या | यद् (१.१) |
वेत्ति | वेत्ति (√विद् लट् प्र.पु. एक.) |
बुद्धिः | बुद्धि (१.१) |
सा | तद् (१.१) |
पार्थ | पार्थ (८.१) |
सात्त्विकी | सात्त्विक (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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प्र | वृ | त्तिं | च | नि | वृ | त्तिं | च |
का | र्या | का | र्ये | भ | या | भ | ये |
ब | न्धं | मो | क्षं | च | या | वे | त्ति |
बु | द्धिः | सा | पा | र्थ | सा | त्त्वि | की |