अनेकराजन्यरथाश्वसंकुलं | अनेक–राजन्य–रथ–अश्व–संकुल (२.१) |
तदीयम् | तदीय (२.१) |
आस्थाननिकेतनाजिरम् | आस्थान–निकेतन–अजिर (२.१) |
नयत्य् | नयति (√नी लट् प्र.पु. एक.) |
अयुग्मच्छदगन्धिर् | अयुग्म–छद–गन्धि (१.१) |
आर्द्रतां | आर्द्र–ता (२.१) |
भृशं | भृशम् (अव्ययः) |
नृपोपायनदन्तिनां | नृप–उपायन–दन्तिन् (६.३) |
मदः | मद (१.१) |
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ |
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अ | ने | क | रा | ज | न्य | र | था | श्व | सं | कु | लं |
त | दी | य | मा | स्था | न | नि | के | त | ना | जि | रम् |
न | य | त्य | यु | ग्म | च्छ | द | ग | न्धि | रा | र्द्र | तां |
भृ | शं | नृ | पो | पा | य | न | द | न्ति | नां | म | दः |
ज | त | ज | र |