पदच्छेदः
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व्रजन्ति | व्रजन्ति (√व्रज् लट् प्र.पु. बहु.) |
ते | तद् (१.३) |
मूढधियः | मूढ (√मुह् + क्त)–धी (१.३) |
पराभवं | पराभव (२.१) |
भवन्ति | भवन्ति (√भू लट् प्र.पु. बहु.) |
मायाविषु | मायाविन् (७.३) |
ये | यद् (१.३) |
न | न (अव्ययः) |
मायिनः | मायिन् (१.३) |
प्रविश्य | प्रविश्य (√प्र-विश् + ल्यप्) |
हि | हि (अव्ययः) |
घ्नन्ति | घ्नन्ति (√हन् लट् प्र.पु. बहु.) |
शठास् | शठ (१.३) |
तथाविधान् | तथाविध (२.३) |
असंवृताङ्गान् | असंवृत–अङ्ग (२.३) |
निशिता | निशित (√नि-शा + क्त, १.३) |
इवेषवः | इव (अव्ययः)–इषु (१.३) |
छन्दः
वंशस्थम् [१२: जतजर]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ |
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व्र | ज | न्ति | ते | मू | ढ | धि | यः | प | रा | भ | वं |
भ | व | न्ति | मा | या | वि | षु | ये | न | मा | यि | नः |
प्र | वि | श्य | हि | घ्न | न्ति | श | ठा | स्त | था | वि | धा |
न | सं | वृ | ता | ङ्गा | न्नि | शि | ता | इ | वे | ष | वः |
ज | त | ज | र |