पदच्छेदः
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अनुजानुमध्यमवसक्तविततवपुषा | अनु (अव्ययः)–जानु–मध्य (२.१)–अवसक्त (√अव-सञ्ज् + क्त)–वितत (√वि-तन् + क्त)–वपुस् (३.१) |
महाहिना | महत्–अहि (३.१) |
लोकम् | लोक (२.१) |
अखिलम् | अखिल (२.१) |
इव | इव (अव्ययः) |
भूमिभृता | भूमि–भृत् (३.१) |
रवितेजसाम् | रवि–तेजस् (६.३) |
अवधिनाधिवेष्टितम् | अवधि (३.१)–अधिवेष्टित (√अधि-वेष्टय् + क्त, २.१) |
छन्दः
उद्गता = [१०: सजसल] + [१०: नसजग] + [११: भनजलग] + [१३: सजसजग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ |
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अ | नु | जा | नु | म | ध्य | म | व | स | क्त |
वि | त | त | व | पु | षा | म | हा | हि | ना |
लो | क | म | खि | ल | मि | व | भू | मि | भृ | ता |
र | वि | ते | ज | सा | म | व | धि | ना | धि | वे | ष्टि | तम् |