पदच्छेदः
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तपसा | तपस् (३.१) |
निपीडितकृशस्य | निपीडित (√नि-पीडय् + क्त)–कृश (६.१) |
विरहितसहायसम्पदः | विरहित (√वि-रह् + क्त)–सहाय–सम्पद् (६.१) |
सत्त्वविहितम् | सत्त्व–विहित (√वि-धा + क्त, २.१) |
अतुलं | अतुल (२.१) |
भुजयोर् | भुज (६.२) |
बलम् | बल (२.१) |
अस्य | इदम् (६.१) |
पश्यत | पश्यत (√पश् लोट् म.पु. द्वि.) |
मृधे | मृध (७.१) |
ऽधिकुप्यतः | अधिकुप्यत् (√अधि-कुप् + शतृ, ६.१) |
छन्दः
उद्गता = [१०: सजसल] + [१०: नसजग] + [११: भनजलग] + [१३: सजसजग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ |
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त | प | सा | नि | पी | डि | त | कृ | श | स्य |
वि | र | हि | त | स | हा | य | स | म्प | दः |
स | त्त्व | वि | हि | त | म | तु | लं | भु | ज | यो |
र्ब | ल | म | स्य | प | श्य | त | मृ | धे | ऽधि | कु | प्य | तः |