पदच्छेदः
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मथिताम्भसो | मथित (√मथ् + क्त)–अम्भस् (२.३) |
रयविकीर्णमृदितकदलीगवेधुकाः | रय–विकीर्ण (√वि-कृ + क्त)–मृदित (√मृद् + क्त)–कदल–गवेधुका (२.३) |
क्लान्तजलरुहलताः | क्लान्त (√क्लम् + क्त)–जलरुह–लता (२.३) |
सरसीर् | सरसी (२.३) |
विदधे | विदधे (√वि-धा लिट् प्र.पु. एक.) |
निदाघ | निदाघ (१.१) |
इव | इव (अव्ययः) |
सत्त्वसम्प्लवः | सत्त्व–सम्प्लव (१.१) |
छन्दः
उद्गता = [१०: सजसल] + [१०: नसजग] + [११: भनजलग] + [१३: सजसजग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ |
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म | थि | ता | म्भ | सो | र | य | वि | की | र्ण |
मृ | दि | त | क | द | ली | ग | वे | धु | काः |
क्ला | न्त | ज | ल | रु | ह | ल | ताः | स | र | सी |
र्वि | द | धे | नि | दा | घ | इ | व | स | त्त्व | स | म्प्ल | वः |