पदच्छेदः
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कवचं | कवच (२.१) |
स | तद् (१.१) |
बिभ्रद् | बिभ्रत् (√भृ + शतृ, १.१) |
उपवीतपदनिहितसज्यकार्मुकः | उपवीत–पद–निहित (√नि-धा + क्त)–सज्य–कार्मुक (१.१) |
शैलपतिर् | शैलपति (१.१) |
इव | इव (अव्ययः) |
महेन्द्रधनुःपरिवीतभीमगहनो | महत्–इन्द्रधनुस्–परिवीत (√परि-व्ये + क्त)–भीम–गहन (१.१) |
विदिद्युते | विदिद्युते (√वि-द्युत् लिट् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
उद्गता = [१०: सजसल] + [१०: नसजग] + [११: भनजलग] + [१३: सजसजग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ |
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क | व | चं | स | बि | भ्र | दु | प | वी | त |
प | द | नि | हि | त | स | ज्य | का | र्मु | कः |
शै | ल | प | ति | रि | व | म | हे | न्द्र | ध | नुः |
प | रि | वी | त | भी | म | ग | ह | नो | वि | दि | द्यु | ते |