पदच्छेदः
Click to Toggle
अनुपालयताम् | अनुपालयताम् (√अनु-पालय् लोट् प्र.पु. एक.) |
उदेष्यतीं | उदेष्यत् (√उत्-इ + कृत्, २.१) |
प्रभुशक्तिं | प्रभु–शक्ति (२.१) |
द्विषताम् | द्विषत् (√द्विष् + शतृ, ६.३) |
अनीहया | अनीहा (३.१) |
अपयान्त्य् | अपयान्ति (√अप-या लट् प्र.पु. बहु.) |
अचिरान् | अचिरात् (अव्ययः) |
महीभुजां | महीभुज् (६.३) |
जननिर्वादभयाद् | जन–निर्वाद–भय (५.१) |
इव | इव (अव्ययः) |
श्रियः | श्री (१.३) |
छन्दः
वियोगिनी = [१०: ससजग] १,३ + [११: सभरलग] २,४
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
---|
अ | नु | पा | ल | य | ता | मु | दे | ष्य | तीं |
प्र | भु | श | क्तिं | द्वि | ष | ता | म | नी | ह | या |
अ | प | या | न्त्य | चि | रा | न्म | ही | भु | जां |
ज | न | नि | र्वा | द | भ | या | दि | व | श्रि | यः |