अकृत्रिमप्रेमरसाभिरामं | अकृत्रिम–प्रेमन्–रस–अभिराम (२.१) |
रामार्पितं | राम–अर्पित (√अर्पय् + क्त, २.१) |
दृष्टिविलोभि | दृष्टि–विलोभिन् (२.१) |
दृष्टम् | दृष्ट (√दृश् + क्त, २.१) |
मनःप्रसादाञ्जलिना | मनस्–प्रसाद–अञ्जलि (३.१) |
निकामं | निकाम (२.१) |
जग्राह | जग्राह (√ग्रह् लिट् प्र.पु. एक.) |
पाथेयम् | पाथेय (२.१) |
इवेन्द्रसूनुः | इव (अव्ययः)–इन्द्रसूनु (१.१) |
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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अ | कृ | त्रि | म | प्रे | म | र | सा | भि | रा | मं |
रा | मा | र्पि | तं | दृ | ष्टि | वि | लो | भि | दृ | ष्टम् |
म | नः | प्र | सा | दा | ञ्ज | लि | ना | नि | का | मं |
ज | ग्रा | ह | पा | थे | य | मि | वे | न्द्र | सू | नुः |