पदच्छेदः
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ततः | ततस् (अव्ययः) |
स | तद् (१.१) |
सम्प्रेक्ष्य | सम्प्रेक्ष्य (√सम्प्र-ईक्ष् + ल्यप्) |
शरद्गुणश्रियं | शरद्–गुण–श्री (२.१) |
शरद्गुणालोकनलोलचक्षुषम् | शरद्–गुण–आलोकन–लोल–चक्षुस् (२.१) |
उवाच | उवाच (√वच् लिट् प्र.पु. एक.) |
यक्षस् | यक्ष (१.१) |
तम् | तद् (२.१) |
अचोदितो | अ (अव्ययः)–चोदित (√चोदय् + क्त, १.१) |
ऽपि | अपि (अव्ययः) |
गां | गो (२.१) |
न | न (अव्ययः) |
हीङ्गितज्ञो | हि (अव्ययः)–इङ्गित–ज्ञ (१.१) |
ऽवसरे | अवसर (७.१) |
ऽवसीदति | अवसीदति (√अव-सद् लट् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
वंशस्थम् [१२: जतजर]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ |
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त | तः | स | स | म्प्रे | क्ष्य | श | र | द्गु | ण | श्रि | यं |
श | र | द्गु | णा | लो | क | न | लो | ल | च | क्षु | षम् |
उ | वा | च | य | क्ष | स्त | म | चो | दि | तो | ऽपि | गां |
न | ही | ङ्गि | त | ज्ञो | ऽव | स | रे | ऽव | सी | द | ति |
ज | त | ज | र |