तम् | तद् (२.१) |
अनतिशयनीयं | अन् (अव्ययः)–अतिशयनीय (√अति-शी + अनीयर्, २.१) |
सर्वतः | सर्वतस् (अव्ययः) |
सारयोगाद् | सार–योग (५.१) |
अविरहितम् | अ (अव्ययः)–विरहित (√वि-रह् + क्त, २.१) |
अनेकेनाङ्कभाजा | अनेक (३.१)–अङ्कभाज् (३.१) |
फलेन | फल (३.१) |
अकृशम् | अकृश (२.१) |
अकृशलक्ष्मीश् | अकृश–लक्ष्मी (१.१) |
चेतसाशंसितं | चेतस् (३.१)–आशंसित (√आ-शंस् + क्त, २.१) |
स | तद् (१.१) |
स्वम् | स्व (२.१) |
इव | इव (अव्ययः) |
पुरुषकारं | पुरुषकार (२.१) |
शैलम् | शैल (२.१) |
अभ्याससाद | अभ्याससाद (√अभ्या-सद् लिट् प्र.पु. एक.) |
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त | म | न | ति | श | य | नी | यं | स | र्व | तः | सा | र | यो | गा |
द | वि | र | हि | त | म | ने | के | ना | ङ्क | भा | जा | फ | ले | न |
अ | कृ | श | म | कृ | श | ल | क्ष्मी | श्चे | त | सा | शं | सि | तं | स |
स्व | मि | व | पु | रु | ष | का | रं | शै | ल | म | भ्या | स | सा | द |
न | न | म | य | य |