पदच्छेदः
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संक्रान्तचन्दनरसाहितवर्णभेदं | संक्रान्त (√सम्-क्रम् + क्त)–चन्दन–रस–आहित (√आ-धा + क्त)–वर्ण–भेद (१.१) |
विच्छिन्नभूषणमणिप्रकरांशुचित्रम् | विच्छिन्न (√वि-छिद् + क्त)–भूषण–मणि–प्रकर–अंशु–चित्र (१.१) |
बद्धोर्मि | बद्ध (√बन्ध् + क्त)–ऊर्मि (१.१) |
नाकवनितापरिभुक्तमुक्तं | नाक–वनिता–परिभुक्त (√परि-भुज् + क्त)–मुक्त (√मुच् + क्त, १.१) |
सिन्धोर् | सिन्धु (६.१) |
बभार | बभार (√भृ लिट् प्र.पु. एक.) |
सलिलं | सलिल (१.१) |
शयनीयलक्ष्मीम् | शयनीय–लक्ष्मी (२.१) |
छन्दः
वसन्ततिलका [१४: तभजजगग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ |
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सं | क्रा | न्त | च | न्द | न | र | सा | हि | त | व | र्ण | भे | दं |
वि | च्छि | न्न | भू | ष | ण | म | णि | प्र | क | रां | शु | चि | त्रम् |
ब | द्धो | र्मि | ना | क | व | नि | ता | प | रि | भु | क्त | मु | क्तं |
सि | न्धो | र्ब | भा | र | स | लि | लं | श | य | नी | य | ल | क्ष्मीम् |
त | भ | ज | ज | ग | ग |