पदच्छेदः
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स्थाल्यां | स्थाली (७.१) |
वैदूर्यमय्यां | वैडूर्य–मय (७.१) |
पचति | पचति (√पच् लट् प्र.पु. एक.) |
तिलकणांश् | तिल–कण (२.३) |
चन्दनैर् | चन्दन (३.३) |
इन्धनौघैः | इन्धन–ओघ (३.३) |
सौवर्णैर् | सौवर्ण (३.३) |
लाङ्गलाग्रैर् | लाङ्गल–अग्र (३.३) |
विलिखति | विलिखति (√वि-लिख् लट् प्र.पु. एक.) |
वसुधाम् | वसुधा (२.१) |
अर्कमूलस्य | अर्क–मूल (६.१) |
हेतोः | हेतु (५.१) |
कृत्वा | कृत्वा (√कृ + क्त्वा) |
कर्पूरखण्डान् | कर्पूर–खण्ड (२.३) |
वृत्तिम् | वृत्ति (२.१) |
इह | इह (अव्ययः) |
कुरुते | कुरुते (√कृ लट् प्र.पु. एक.) |
कोद्रवाणां | कोद्रव (६.३) |
समन्तात्प्राप्येमां | समन्तात् (अव्ययः)–प्राप्य (√प्र-आप् + ल्यप्)–इदम् (२.१) |
कर्मभूमिं | कर्मन्–भूमि (२.१) |
न | न (अव्ययः) |
चरति | चरति (√चर् लट् प्र.पु. एक.) |
मनुजो | मनुज (१.१) |
यस् | यद् (१.१) |
मन्दभाग्यः | मन्दभाग्य (१.१) |
छन्दः
स्रग्धरा [२१: मरभनययय]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ | १८ | १९ | २० | २१ | २२ | २३ |
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स्था | ल्यां | वै | दू | र्य | म | य्यां | प | च | ति | ति | ल | क | णां | श्च | न्द | नै | रि | न्ध | नौ | घैः |
सौ | व | र्णै | र्ला | ङ्ग | ला | ग्रै | र्वि | लि | ख | ति | व | सु | धा | म | र्क | मू | ल | स्य | हे | तोः |
कृ | त्वा | क | र्पू | र | ख | ण्डा | न्वृ | त्ति | मि | ह | कु | रु | ते | को | द्र | वा | णां |
स | म | न्ता | त्प्रा | प्ये | मां | क | र्म्भू | मिं | न | च | र | ति | म | नु | जो | य | स्तो | प | म | न्द | भा | ग्यः |
म | र | भ | न | य | य | य |