पदच्छेदः
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वह्निस् | वह्नि (१.१) |
तस्य | तद् (६.१) |
जलायते | जलायते (√जलाय् लट् प्र.पु. एक.) |
जलनिधिः | जलनिधि (१.१) |
कुल्यायते | कुल्यायते (√कुल्याय् लट् प्र.पु. एक.) |
तत्क्षणान्मेरुः | तद्–क्षण (५.१)–मेरु (१.१) |
स्वल्पशिलायते | स्वल्पशिलायते (√स्वल्पशिलाय् लट् प्र.पु. एक.) |
मृगपतिः | मृगपति (१.१) |
सद्यः | सद्यस् (अव्ययः) |
कुरङ्गायते | कुरङ्गायते (√कुरङ्गाय् लट् प्र.पु. एक.) |
व्यालो | व्याल (१.१) |
माल्यगुणायते | माल्यगुणायते (√माल्यगुणाय् लट् प्र.पु. एक.) |
विषरसः | विष–रस (१.१) |
पीयूषवर्षायते | पीयूषवर्षायते (√पीयूषवर्षाय् लट् प्र.पु. एक.) |
यस्याङ्गे | यद् (६.१)–अङ्ग (७.१) |
ऽखिललोकवल्लभतमं | अखिल–लोक–वल्लभतम (१.१) |
शीलं | शील (१.१) |
समुन्मीलति | समुन्मीलति (√समुत्-मील् लट् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
शार्दूलविक्रीडितम् [१९: मसजसततग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ | १८ | १९ |
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व | ह्नि | स्त | स्य | ज | ला | य | ते | ज | ल | नि | धिः | कु | ल्या | य | ते | त | त्क्ष | णा |
न्मे | रुः | स्व | ल्प | शि | ला | य | ते | मृ | ग | प | तिः | स | द्यः | कु | र | ङ्गा | य | ते |
व्या | लो | मा | ल्य | गु | णा | य | ते | वि | ष | र | सः | पी | यू | ष | व | र्षा | य | ते |
य | स्या | ङ्गे | ऽखि | ल | लो | क | व | ल्ल | भ | त | मं | शी | लं | स | मु | न्मी | ल | ति |
म | स | ज | स | त | त | ग |