पदच्छेदः
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लज्जागुणौघजननीं | लज्जा–गुण–ओघ–जनन (२.१) |
जननीम् | जननी (२.१) |
इव | इव (अव्ययः) |
स्वामत्यन्तशुद्धहृदयाम् | स्व (२.१)–अत्यन्त–शुद्ध–हृदय (२.१) |
अनुवर्तमानाम् | अनुवर्तमान (√अनु-वृत् + शानच्, २.१) |
तेजस्विनः | तेजस्विन् (१.३) |
सुखम् | सुखम् (अव्ययः) |
असून् | असु (२.३) |
अपि | अपि (अव्ययः) |
संत्यजन्ति | संत्यजन्ति (√सम्-त्यज् लट् प्र.पु. बहु.) |
सत्यव्रतव्यसनिनो | सत्य–व्रत–व्यसनिन् (१.३) |
न | न (अव्ययः) |
पुनः | पुनर् (अव्ययः) |
प्रतिज्ञाम् | प्रतिज्ञा (२.१) |
छन्दः
वसन्ततिलका [१४: तभजजगग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ |
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ल | ज्जा | गु | णौ | घ | ज | न | नीं | ज | न | नी | मि | व | स्वा |
म | त्य | न्त | शु | द्ध | हृ | द | या | म | नु | व | र्त | मा | नाम् |
ते | ज | स्वि | नः | सु | ख | म | सू | न | पि | स | न्त्य | ज | न | ति |
स | त्य | व्र | त | व्य | स | नि | नो | न | पु | नः | प्र | ति | ज्ञाम् |
त | भ | ज | ज | ग | ग |