पदच्छेदः
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प्रारभ्यते | प्रारभ्यते (√प्रा-रभ् प्र.पु. एक.) |
न | न (अव्ययः) |
खलु | खलु (अव्ययः) |
विघ्नभयेन | विघ्न–भय (३.१) |
नीचैः | नीच (३.३) |
प्रारभ्य | प्रारभ्य (√प्रा-रभ् + ल्यप्) |
विघ्नविहता | विघ्न–विहत (√वि-हन् + क्त, १.३) |
विरमन्ति | विरमन्ति (√वि-रम् लट् प्र.पु. बहु.) |
मध्याः | मध्य (१.३) |
विघ्नैः | विघ्न (३.३) |
पुनः | पुनर् (अव्ययः) |
पुनर् | पुनर् (अव्ययः) |
अपि | अपि (अव्ययः) |
प्रतिहन्यमानाः | प्रतिहन्यमान (√प्रति-हन् + शानच्, १.३) |
प्रारब्धम् | प्रारब्ध (√प्रा-रभ् + क्त, २.१) |
उत्तमजना | उत्तम–जन (१.३) |
न | न (अव्ययः) |
परित्यजन्ति | परित्यजन्ति (√परि-त्यज् लट् प्र.पु. बहु.) |
छन्दः
वसन्ततिलका [१४: तभजजगग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ |
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प्रा | र | भ्य | ते | न | ख | लु | वि | घ्न | भ | ये | न | नी | चैः |
प्रा | र | भ्य | वि | घ्न | वि | ह | ता | वि | र | म | न्ति | म | ध्याः |
वि | घ्नैः | पु | नः | पु | न | र | पि | प्र | ति | ह | न्य | मा | नाः |
प्रा | र | ब्ध | मु | त्त | म | ज | ना | न | प | रि | त्य | ज | न्ति |
त | भ | ज | ज | ग | ग |