पदच्छेदः
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स्वल्पस्नायुवसावशेषमलिनं | सु (अव्ययः)–अल्प–स्नायु–वसा–अवशेष–मलिन (२.१) |
निर्मांसम् | निर्मांस (२.१) |
अप्यस्थि | अपि (अव्ययः)–अस्थि (२.१) |
गोः | गो (६.१) |
श्वा | श्वन् (१.१) |
लब्ध्वा | लब्ध्वा (√लभ् + क्त्वा) |
परितोषम् | परितोष (२.१) |
एति | एति (√इ लट् प्र.पु. एक.) |
न | न (अव्ययः) |
तु | तु (अव्ययः) |
तत् | तद् (१.१) |
तस्य | तद् (६.१) |
क्षुधाशान्तये | क्षुधा–शान्ति (४.१) |
सिंहो | सिंह (१.१) |
जम्बुकम् | जम्बुक (२.१) |
अङ्कम् | अङ्क (२.१) |
आगतम् | आगत (√आ-गम् + क्त, २.१) |
अपि | अपि (अव्ययः) |
त्यक्त्वा | त्यक्त्वा (√त्यज् + क्त्वा) |
निहन्ति | निहन्ति (√नि-हन् लट् प्र.पु. एक.) |
द्विपं | द्विप (२.१) |
सर्वः | सर्व (१.१) |
कृच्छ्रगतो | कृच्छ्र–गत (√गम् + क्त, १.१) |
ऽपि | अपि (अव्ययः) |
वाञ्छति | वाञ्छति (√वाञ्छ् लट् प्र.पु. एक.) |
जनः | जन (१.१) |
सत्त्वानुरूपं | सत्त्व–अनुरूप (२.१) |
फलम् | फल (२.१) |
छन्दः
शार्दूलविक्रीडितम् [१९: मसजसततग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ | १८ | १९ |
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स्व | ल्प | स्ना | यु | व | सा | व | शे | ष | म | लि | नं | नि | र्मां | स | म | प्य | स्थि | गोः |
श्वा | ल | ब्ध्वा | प | रि | तो | ष | मे | ति | न | तु | त | त्त | स्य | क्षु | धा | शा | न्त | ये |
सिं | हो | ज | म्बु | क | म | ङ्क | मा | ग | त | म | पि | त्य | क्त्वा | नि | ह | न्ति | द्वि | पं |
स | र्वः | कृ | च्छ्र | ग | तो | ऽपि | वा | ञ्छ | न्ति | ज | नः | स | त्त्वा | नु | रू | पं | फ | लम् |
म | स | ज | स | त | त | ग |