पदच्छेदः
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मौनोमूकः | मौन (१.१)–मूक (१.१) |
प्रवचनपटुर् | प्रवचन–पटु (१.१) |
वातुलो | वातुल (१.१) |
जल्पको | जल्पक (१.१) |
वा | वा (अव्ययः) |
धृष्टः | धृष्ट (√धृष् + क्त, १.१) |
पार्श्वे | पार्श्व (७.१) |
वसति | वसति (√वस् लट् प्र.पु. एक.) |
च | च (अव्ययः) |
सदा | सदा (अव्ययः) |
दूरतश् | दूरतस् (अव्ययः) |
चाप्रगल्भः | च (अव्ययः)–अ (अव्ययः)–प्रगल्भ (१.१) |
क्षान्त्या | क्षान्ति (३.१) |
भीरुर्यदि | भीरु (१.१)–यदि (अव्ययः) |
न | न (अव्ययः) |
सहते | सहते (√सह् लट् प्र.पु. एक.) |
प्रायशो | प्रायशस् (अव्ययः) |
नाभिजातः | न (अव्ययः)–अभिजात (√अभि-जन् + क्त, १.१) |
सेवाधर्मः | सेवा–धर्म (१.१) |
परमगहनो | परम–गहन (१.१) |
योगिनाम् | योगिन् (६.३) |
अप्यगम्यः | अपि (अव्ययः)–अगम्य (१.१) |
छन्दः
मन्दाक्रान्ता [१७: मभनततगग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ |
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मौ | नो | मू | कः | प्र | व | च | न | प | टु | र्बा | टु | लो | ज | ल्प | को | वा |
धृ | ष्टः | पा | र्श्वे | व | स | ति | च | स | दा | दू | र | त | श्चा | प्र | ग | ल्भः |
क्षा | न्त्या | भी | रु | र्य | दि | न | स | ह | ते | प्रा | य | शो | ना | भि | जा | तः |
से | वा | ध | र्मः | प | र | म | ग | ह | नो | यो | गि | ना | म | प्य | ग | म्यः |
म | भ | न | त | त | ग | ग |