मृगमीनसज्जनानां | मृग–मीन–सत्–जन (६.३) |
तृणजलसन्तोषविहितवृत्तीनाम् | तृण–जल–संतोष–विहित (√वि-धा + क्त)–वृत्ति (६.३) |
लुब्धकधीवरपिशुना | लुब्धक–धीवर–पिशुन (१.३) |
निष्कारणवैरिणो | निष्कारण–वैरिन् (१.३) |
जगति | जगन्त् (७.१) |
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ |
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मृ | ग | मी | न | स | ज्ज | ना | नां | |||||
तृ | ण | ज | ल | स | न्तो | ष | वि | हि | त | वृ | त्ती | नाम् |
लु | ब्ध | क | धी | व | र | पि | शु | ना | ||||
नि | ष्का | र | ण | वै | रि | णो | ज | ग | ति |