पदच्छेदः
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नूनं | नूनम् (अव्ययः) |
हि | हि (अव्ययः) |
ते | तद् (१.३) |
कविवरा | कवि–वर (१.३) |
विपरीतवाचो | विपरीत–वाच् (१.३) |
ये | यद् (१.३) |
नित्यम् | नित्यम् (अव्ययः) |
आहुर् | आहुः (√अह् लिट् प्र.पु. बहु.) |
अबला | अबल (१.३) |
इति | इति (अव्ययः) |
कामिनीस् | कामिनी (२.३) |
ताः | तद् (२.३) |
याभिर् | यद् (३.३) |
विलोलितरतारकदृष्टिपातैः | विलोलित (√वि-लोलय् + क्त)–रत–अरक–दृष्टि–पात (३.३) |
शक्रादयो | शक्र–आदि (१.३) |
ऽपि | अपि (अव्ययः) |
विजितास् | विजित (√वि-जि + क्त, १.३) |
त्व् | तु (अव्ययः) |
अबलाः | अबल (१.३) |
कथं | कथम् (अव्ययः) |
ताः | तद् (१.३) |
छन्दः
वसन्ततिलका [१४: तभजजगग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ |
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नू | नं | हि | ते | क | वि | व | रा | वि | प | री | त | वा | चो |
ये | नि | त्य | मा | हु | र | ब | ला | इ | ति | का | मि | नी | स्ताः |
या | भि | र्वि | लो | लि | त | र | ता | र | क | दृ | ष्टि | पा | तैः |
श | क्रा | द | यो | ऽपि | वि | जि | ता | स्त्व | ब | लाः | क | थं | ताः |
त | भ | ज | ज | ग | ग |