पदच्छेदः
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राजस्तृष्णाम्बुराशेर् | राज (१.१)–तृष्णा–अम्बुराशि (६.१) |
न | न (अव्ययः) |
हि | हि (अव्ययः) |
जगति | जगन्त् (७.१) |
गतः | गत (√गम् + क्त, १.१) |
कश्चिद् | कश्चित् (१.१) |
एवावसानं | एव (अव्ययः)–अवसान (२.१) |
को | क (१.१) |
वार्थो | वा (अव्ययः)–अर्थ (१.१) |
ऽर्थैः | अर्थ (३.३) |
प्रभूतैः | प्रभूत (३.३) |
स्ववपुषि | स्व–वपुस् (७.१) |
गलिते | गलित (√गल् + क्त, ७.१) |
यौवने | यौवन (७.१) |
सानुरागे | स (अव्ययः)–अनुराग (७.१) |
गच्छामः | गच्छामः (√गम् लट् उ.पु. द्वि.) |
सद्म | सद्मन् (२.१) |
यावद् | यावत् (अव्ययः) |
विकसितनयनेन्दीवरालोकिनीनामाक्रम्याक्रम्य | विकसित (√वि-कस् + क्त)–नयन–इन्दीवर–आलोकिन् (६.३)–आक्रम्य (√आ-क्रम् + ल्यप्)–आक्रम्य (√आ-क्रम् + ल्यप्) |
रूपं | रूप (१.१) |
झटिति | झटिति (अव्ययः) |
न | न (अव्ययः) |
जरया | जरा (३.१) |
लुप्यते | लुप्यते (√लुप् प्र.पु. एक.) |
प्रेयसीनाम् | प्रेयस् (६.३) |
छन्दः
स्रग्धरा [२१: मरभनययय]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ | १८ | १९ | २० | २१ |
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रा | ज | स्तृ | ष्णा | म्बु | रा | शे | र्न | हि | ज | ग | ति | ग | तः | क | श्चि | दे | वा | व | सा | नं |
को | वा | र्थो | ऽर्थैः | प्र | भू | तैः | स्व | व | पु | षि | ग | लि | ते | यौ | व | ने | सा | नु | रा | गे |
ग | च्छा | मः | स | द्म | या | व | द्वि | क | सि | त | न | य | ने | न्दी | व | रा | लो | कि | नी | ना |
मा | क्र | म्या | क्र | म्य | रू | पं | झ | टि | ति | न | ज | र | या | लु | प्य | ते | प्रे | य | सी | नाम् |
म | र | भ | न | य | य | य |