पदच्छेदः
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सिद्धाध्यासितकन्दरे | सिद्ध–अध्यासित (√अधि-आस् + क्त)–कन्दर (७.१) |
हरवृषस्कन्धावरुग्णद्रुमे | हर–वृष–स्कन्ध–अवरुग्ण (√अव-रुज् + क्त)–द्रुम (७.१) |
गङ्गाधौतशिलातले | गङ्गा–धौत (√धाव् + क्त)–शिला–तल (७.१) |
हिमवतः | हिमवन्त् (६.१) |
स्थाने | स्थान (७.१) |
स्थिते | स्थित (√स्था + क्त, ७.१) |
श्रेयसि | श्रेयस् (७.१) |
कः | क (१.१) |
कुर्वीत | कुर्वीत (√कृ विधिलिङ् प्र.पु. एक.) |
शिरः | शिरस् (२.१) |
प्रणाममलिनं | प्रणाम–मलिन (२.१) |
म्लानं | म्लान (√म्ला + क्त, २.१) |
मनस्वी | मनस्विन् (१.१) |
जनो | जन (१.१) |
यद्वित्रस्तकुरङ्गशावनयना | यत् (अव्ययः)–वित्रस्त (√वि-त्रस् + क्त)–कुरङ्ग–शाव–नयन (१.३) |
न | न (अव्ययः) |
स्युः | स्युः (√अस् विधिलिङ् प्र.पु. बहु.) |
स्मरास्त्रं | स्मर–अस्त्र (१.१) |
स्त्रियः | स्त्री (१.३) |
छन्दः
शार्दूलविक्रीडितम् [१९: मसजसततग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ | १८ | १९ |
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सि | द्धा | ध्या | सि | त | क | न्द | रे | ह | र | वृ | ष | स्क | न्धा | व | रु | ग्ण | द्रु | मे |
ग | ङ्गा | धौ | त | शि | ला | त | ले | हि | म | व | तः | स्था | ने | स्थि | ते | श्रे | य | सि |
कः | कु | र्वी | त | शि | रः | प्र | णा | म | म | लि | नं | म्ला | नं | म | न | स्वी | ज | नो |
य | द्वि | त्र | स्त | कु | र | ङ्ग | शा | व | न | य | ना | न | स्युः | स्म | रा | स्त्रं | स्त्रि | यः |
म | स | ज | स | त | त | ग |