पदच्छेदः
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बाले | बाला (८.१) |
लीलामुकुलितम् | लीला–मुकुलित (२.१) |
अमी | अदस् (१.३) |
मन्थरा | मन्थर (१.३) |
दृष्टिपाताः | दृष्टि–पात (१.३) |
किं | किम् (अव्ययः) |
क्षिप्यन्ते | क्षिप्यन्ते (√क्षिप् प्र.पु. बहु.) |
विरम | विरम (√वि-रम् लोट् म.पु. ) |
विरम | विरम (√वि-रम् लोट् म.पु. ) |
व्यर्थ | व्यर्थ (१.१) |
एष | एतद् (१.१) |
श्रमस् | श्रम (१.१) |
ते | त्वद् (६.१) |
सम्प्रत्य् | सम्प्रति (अव्ययः) |
अन्ये | अन्य (१.३) |
वयम् | मद् (१.३) |
उपरतं | उपरत (√उप-रम् + क्त, १.१) |
बाल्यम् | बाल्य (१.१) |
आस्था | आस्था (१.१) |
वनान्ते | वनान्त (७.१) |
क्षीणो | क्षीण (√क्षि + क्त, १.१) |
मोहस् | मोह (१.१) |
तृणम् | तृण (२.१) |
इव | इव (अव्ययः) |
जगज्जालम् | जगन्त्–जाल (२.१) |
आलोकयामः | आलोकयामः (√आ-लोकय् लट् उ.पु. द्वि.) |
छन्दः
मन्दाक्रान्ता [१७: मभनततगग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ |
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बा | ले | ली | ला | मु | कु | लि | त | म | मी | म | न्थ | रा | दृ | ष्टि | पा | ताः |
किं | क्षि | प्य | न्ते | वि | र | म | वि | र | म | व्य | र्थ | ए | ष | श्र | म | स्ते |
स | म्प्र | त्य | न्ये | व | य | मु | प | र | तं | बा | ल्य | मा | स्था | व | ना | न्ते |
क्षी | णो | मो | ह | स्तृ | ण | मि | व | ज | ग | ज्जा | ल | मा | लो | क | या | मः |
म | भ | न | त | त | ग | ग |