पदच्छेदः
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किं | किम् (अव्ययः) |
कन्दर्प | कन्दर्प (८.१) |
करं | कर (२.१) |
कदर्थयसि | कदर्थयसि (√कदर्थय् लट् म.पु. ) |
रे | रे (अव्ययः) |
कोदण्डटङ्कारितं | कोदण्ड–टङ्क–आरित (१.१) |
रे | रे (अव्ययः) |
रे | रे (अव्ययः) |
कोकिल | कोकिल (८.१) |
कोमलं | कोमल (२.१) |
कलरवं | कलरव (२.१) |
किं | किम् (अव्ययः) |
वा | वा (अव्ययः) |
वृथा | वृथा (अव्ययः) |
जल्पसि | जल्पसि (√जल्प् लट् म.पु. ) |
मुग्धे | मुग्ध (√मुह् + क्त, ८.१) |
स्निग्धविदग्धचारुमधुरैर् | स्निग्ध–विदग्ध–चारु–मधुर (३.३) |
लोलैः | लोल (३.३) |
कटाक्षैर् | कटाक्ष (३.३) |
अलं | अलम् (अव्ययः) |
चेतश् | चेतस् (१.१) |
चुम्बितचन्द्रचूडचरणध्यानामृतं | चुम्बित (√चुम्ब् + क्त)–चन्द्रचूड–चरण–ध्यान–अमृत (१.१) |
वर्तते | वर्तते (√वृत् लट् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
शार्दूलविक्रीडितम् [१९: मसजसततग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ | १८ | १९ |
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किं | क | न्द | र्प | क | रं | क | द | र्थ | य | सि | रे | को | द | ण्ड | ट | ङ्का | रि | तं |
रे | रे | को | कि | ल | को | म | लं | क | ल | र | वं | किं | वा | वृ | था | ज | ल्प | सि |
मु | ग्धे | स्नि | ग्ध | वि | द | ग्ध | चा | रु | म | धु | रै | र्लो | लैः | क | टा | क्षै | र | लं |
चे | त | श्चु | म्बि | त | च | न्द्र | चू | ड | च | र | ण | ध्या | ना | मृ | तं | व | र्त | ते |
म | स | ज | स | त | त | ग |