पदच्छेदः
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धन्यानां | धन्य (६.३) |
गिरिकन्दरेषु | गिरि–कन्दर (७.३) |
वसतां | वसत् (√वस् + शतृ, ६.३) |
ज्योतिः | ज्योतिस् (२.१) |
परं | पर (२.१) |
ध्यायतामानन्दाश्रु | ध्यायत् (√ध्या + शतृ, ६.३)–आनन्द–अश्रु (२.१) |
जलं | जल (२.१) |
पिबन्ति | पिबन्ति (√पा लट् प्र.पु. बहु.) |
शकुना | शकुन (१.३) |
निःशङ्कम् | निःशङ्क (२.१) |
अङ्केशयाः | अङ्केशय (१.३) |
अस्माकं | मद् (६.३) |
तु | तु (अव्ययः) |
मनोरथोपरचितप्रासादवापीतटक्रीडाकाननकेलिकौतुकजुषाम् | मनोरथ–उपरचित (√उप-रचय् + क्त)–प्रासाद–वापी–तट–क्रीडा–कानन–केलि–कौतुक–जुष् (६.३) |
आयुः | आयुस् (१.१) |
परं | पर (१.१) |
क्षीयते | क्षीयते (√क्षि प्र.पु. एक.) |
छन्दः
शार्दूलविक्रीडितम् [१९: मसजसततग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ | १८ | १९ |
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ध | न्या | नां | गि | रि | क | न्द | रे | षु | व | स | तां | ज्यो | तिः | प | रं | ध्या | य | ता |
मा | न | न्दा | श्रु | ज | लं | पि | ब | न्ति | श | कु | ना | निः | श | ङ्क | म | ङ्के | श | याः |
अ | स्मा | कं | तु | म | नो | र | थो | प | र | चि | त | प्रा | सा | द | वा | पी | त | ट |
क्री | डा | का | न | न | के | लि | कौ | तु | क | जु | षा | मा | युः | प | रं | क्षी | य | ते |
म | स | ज | स | त | त | ग |