पदच्छेदः
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भिक्षाहारम् | भिक्षा–आहार (२.१) |
अदैन्यम् | अदैन्य (२.१) |
भीतिच्छिदं | भीति–छिद् (२.१) |
सर्वतो | सर्वतस् (अव्ययः) |
दुर्मात्सर्यमदाभिमानमथनं | दुर्मात्सर्य–मद–अभिमान–मथन (२.१) |
दुःखौघविध्वंसनम् | दुःख–ओघ–विध्वंसन (२.१) |
सर्वत्रान्वहम् | सर्वत्र (अव्ययः)–अन्वहम् (अव्ययः) |
अप्रयत्नसुलभं | अप्रयत्न–सुलभ (२.१) |
साधुप्रियं | साधु–प्रिय (२.१) |
पावनं | पावन (२.१) |
शम्भोः | शम्भु (६.१) |
सत्रम् | सत्त्र (२.१) |
अक्षयनिधिं | अक्षय–निधि (२.१) |
शंसन्ति | शंसन्ति (√शंस् लट् प्र.पु. बहु.) |
योगीश्वराः | योगिन्–ईश्वर (१.३) |
छन्दः
शार्दूलविक्रीडितम् [१९: मसजसततग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ | १८ | १९ |
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भि | क्षा | हा | र | म | दै | न्य | म | प्र | ति | सु | खं | भी | ति | च्छि | दं | स | र्व | तो |
दु | र्मा | त्स | र्य | म | दा | भि | मा | न | म | थ | नं | दुः | खौ | घ | वि | ध्वं | स | नम् |
स | र्व | त्रा | न्व | ह | म | प्र | य | त्न | सु | ल | भं | सा | धु | प्रि | यं | पा | व | नं |
श | म्भोः | स | त्र | म | वा | य | म | क्ष | य | नि | धिं | शं | स | न्ति | यो | गी | श्व | राः |
म | स | ज | स | त | त | ग |