पदच्छेदः
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अमीषां | अदस् (६.३) |
प्राणानां | प्राण (६.३) |
कृते | कृते (अव्ययः) |
किं | किम् (अव्ययः) |
नास्माभिर् | न (अव्ययः)–मद् (३.३) |
विगलितविवेकैर् | विगलित (√वि-गल् + क्त)–विवेक (३.३) |
व्यवसितम् | व्यवसित (√व्यव-सा + क्त, १.१) |
यदाढ्यानाम् | यद् (१.१)–आढ्य (६.३) |
अग्रे | अग्र (७.१) |
द्रविणमदनिःसंज्ञमनसां | द्रविण–मद–निःसंज्ञ–मनस् (६.३) |
कृतं | कृत (√कृ + क्त, १.१) |
मावव्रीडैर् | मा (अव्ययः)–अवव्रीड (३.३) |
निजगुणकथापातकम् | निज–गुण–कथा–पातक (१.१) |
अपि | अपि (अव्ययः) |
छन्दः
शिखरिणी [१७: यमनसभलग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ |
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अ | मी | षां | प्रा | णा | नां | तु | लि | त | वि | सि | नी | प | त्र | प | य | सां |
कृ | ते | किं | ना | स्मा | भि | र्वि | ग | लि | त | वि | वे | कै | र्व्य | व | सि | तम् |
य | दा | ढ्या | ना | म | ग्रे | द्र | वि | ण | म | द | निः | सं | ज्ञ | म | न | सां |
कृ | तं | मा | व | व्री | डै | र्नि | ज | गु | ण | क | था | पा | त | क | म | पि |
य | म | न | स | भ | ल | ग |