Summary
There in both the armies, the son of Prtha observed his fathers, and paternal grandfathers, teachers, maternal uncles, brothers, sons, sons' sons and comrades, fathers-in-law, and also friends.
पदच्छेदः
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भीष्मद्रोणप्रमुखतः | भीष्म–द्रोण–प्रमुखतस् (अव्ययः) |
सर्वेषां | सर्व (६.३) |
च | च (अव्ययः) |
महीक्षिताम् | महीक्षित् (६.३) |
उवाच | उवाच (√वच् लिट् प्र.पु. एक.) |
पार्थ | पार्थ (८.१) |
पश्यैतान्समवेतान्कुरूनिति | पश्य (√पश् लोट् म.पु. )–एतद् (२.३)–समवेत (√समव-इ + क्त, २.३)–कुरु (२.३)–इति (अव्ययः) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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भी | ष्म | द्रो | ण | प्र | मु | ख | तः |
स | र्वे | षां | च | म | ही | क्षि | ताम् |
उ | वा | च | पा | र्थ | प | श्यै | ता |
न्स | म | वे | ता | न्कु | रू | नि | ति |