Summary
For whose sake we seek kingdom, [its] pleasures and happiness, the very same persons stand arrayed to fight, giving up their life and wealth.
पदच्छेदः
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न | न (अव्ययः) |
काङ्क्षे | काङ्क्षे (√काङ्क्ष् लट् उ.पु. ) |
विजयं | विजय (२.१) |
कृष्ण | कृष्ण (८.१) |
न | न (अव्ययः) |
च | च (अव्ययः) |
राज्यं | राज्य (२.१) |
सुखानि | सुख (२.३) |
च | च (अव्ययः) |
किं | क (१.१) |
नो | मद् (६.३) |
राज्येन | राज्य (३.१) |
गोविन्द | गोविन्द (८.१) |
किं | क (१.१) |
भोगैर्जीवितेन | भोग (३.३)–जीवित (३.१) |
वा | वा (अव्ययः) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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न | का | ङ्क्षे | वि | ज | यं | कृ | ष्ण |
न | च | रा | ज्यं | सु | खा | नि | च |
किं | नो | रा | ज्ये | न | गो | वि | न्द |
किं | भो | गै | र्जी | वि | ते | न | वा |