Summary
Alas! What a great sinful act have we resolved to undertake ! For, out of greed for the joy of kingdom, we are striving to slay our own kinsfolk !
पदच्छेदः
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अहो | अहो (अव्ययः) |
बत | बत (अव्ययः) |
महत्पापं | महत् (२.१)–पाप (२.१) |
कर्तुं | कर्तुम् (√कृ + तुमुन्) |
व्यवसिता | व्यवसित (√व्यव-सा + क्त, १.३) |
वयम् | मद् (१.३) |
यद्राज्यसुखलोभेन | यत् (अव्ययः)–राज्य–सुख–लोभ (३.१) |
हन्तुं | हन्तुम् (√हन् + तुमुन्) |
स्वजनमुद्यताः | स्व–जन (२.१)–उद्यत (√उत्-यम् + क्त, १.३) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | हो | ब | त | म | ह | त्पा | पं |
क | र्तुं | व्य | व | सि | ता | व | यम् |
य | द्रा | ज्य | सु | ख | लो | भे | न |
ह | न्तुं | स्व | ज | न | मु | द्य | ताः |