Summary
The Bhagavat said O mighty-armed [Arjuna] ! Yet, again listen to My best message, which, with good intention, I shall declare to you, who are dear to Me.
पदच्छेदः
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भूय | भूयस् (अव्ययः) |
एव | एव (अव्ययः) |
महाबाहो | महत्–बाहु (८.१) |
शृणु | शृणु (√श्रु लोट् म.पु. ) |
मे | मद् (६.१) |
परमं | परम (२.१) |
वचः | वचस् (२.१) |
यत्ते | यद् (२.१)–त्वद् (४.१) |
ऽहं | मद् (१.१) |
प्रीयमाणाय | प्रीयमाण (√प्री + शानच्, ४.१) |
वक्ष्यामि | वक्ष्यामि (√वच् लृट् उ.पु. ) |
हितकाम्यया | हित–काम्या (३.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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भू | य | ए | व | म | हा | बा | हो |
शृ | णु | मे | प | र | मं | व | चः |
य | त्ते | ऽहं | प्री | य | मा | णा | य |
व | क्ष्या | मि | हि | त | का | म्य | या |