Summary
Neither the hosts of gods, nor the great seers know My origin. For, I am the first, in every respect, among the gods and great seers.
पदच्छेदः
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न | न (अव्ययः) |
मे | मद् (६.१) |
विदुः | विदुः (√विद् लिट् प्र.पु. बहु.) |
सुरगणाः | सुर–गण (१.३) |
प्रभवं | प्रभव (२.१) |
न | न (अव्ययः) |
महर्षयः | महत्–ऋषि (१.३) |
अहमादिर्हि | मद् (१.१)–आदि (१.१)–हि (अव्ययः) |
देवानां | देव (६.३) |
महर्षीणां | महत्–ऋषि (६.३) |
च | च (अव्ययः) |
सर्वशः | सर्वशस् (अव्ययः) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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न | मे | वि | दुः | सु | र | ग | णाः |
प्र | भ | वं | न | म | ह | र्ष | यः |
अ | ह | मा | दि | र्हि | दे | वा | नां |
म | ह | र्षी | णां | च | स | र्व | शः |